एक प्रतीकात्मक रचना जो इंगित करती है एक व्यक्तित्व को ॥॥। एक प्रतीकात्मक रचना जो इंगित करती है एक व्यक्तित्व को ॥॥।
मगर सोचते सोचते क्यूँ ये सोचूँ , तुम मुझसे क्या कहोगी मैं तुमसे क्या कहूँ मगर सोचते सोचते क्यूँ ये सोचूँ , तुम मुझसे क्या कहोगी मैं तुमसे क्या कहूँ
हे स्त्री तुम जगजननी , प्रकृति की तुम मृगनयनी हे स्त्री तुम जगजननी , प्रकृति की तुम मृगनयनी
समय दिखाता रहा अँगूठे रिश्ते झूठे नाते झूठे , फिर उन्हें निभाते रहना , अनिकेतन जीवन समय दिखाता रहा अँगूठे रिश्ते झूठे नाते झूठे , फिर उन्हें निभाते रहना , ...
हम ही पूछ लेते हैं हाल खुद का, और हमारी तरह हमें पूछता कौन है। बड़ी बेदर्द हो जाती हम ही पूछ लेते हैं हाल खुद का, और हमारी तरह हमें पूछता कौन है। बड़ी ब...
सफ़ेद बादलों के बीच घोड़ा बना,बिल्ली बनी आदमी कभी बना तो पल में एक कार है, जो है तुम सफ़ेद बादलों के बीच घोड़ा बना,बिल्ली बनी आदमी कभी बना तो पल में एक कार है...